घर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट, नतीजा 99% सही: पीरियड्स मिस होने पर ही करें जांच; अबॉर्शन, कैंसर और इनफर्टिलिटी में गलत आता है रिजल्ट

घर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट, नतीजा 99% सही: पीरियड्स मिस होने पर ही करें जांच; अबॉर्शन, कैंसर और इनफर्टिलिटी में गलत आता है रिजल्ट

घर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट, नतीजा 99% सही: पीरियड्स मिस होने पर ही करें जांच; अबॉर्शन, कैंसर और इनफर्टिलिटी में गलत आता है रिजल्ट

पीरियड मिस होने के 2 दिन बाद

मां बनना सबसे खूबसूरत अहसास है। यह खुशी मिलने वाली है या नहीं, प्रेग्नेंसी किट की मदद से सिर्फ 5 मिनट में गुड न्यूज घर बैठे ही महिला को आसानी से पता चल जाती है।

इस प्रेग्नेंसी किट से प्रेग्नेंसी कंफर्म करना बेहद आसान है और रिजल्ट भी 99% सही होता है।

प्रेग्नेंसी किट के जरिए होती है हॉर्मोन की जांच

पटियाला के मणिपाल हॉस्पिटल में गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. गोल्डी कम्बोज ने बताया कि प्रेग्नेंसी टेस्ट 2 तरीके से होते हैं: यूरिन टेस्ट या ब्लड टेस्ट। जब भी महिला के शरीर में एग फर्टिलाइज होकर यूट्रस में जाता है तभी प्रेग्नेंसी होती है।

प्रेग्नेंट होते ही शरीर में 1 खास तरह का हार्मोन बनता है जो सिर्फ प्रेग्नेंसी के दौरान ही शरीर में मिलता है। इस हार्मोन का नाम ह्यूमन कॉरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotropin (HCG)) है। यह हार्मोन ब्लड और यूरिन से ही आसानी से पहचाना जा सकता है।

यही हार्मोन प्रेग्नेंसी किट पर डिटेक्ट होता है। किट के टेस्ट विंडो (बीच की स्ट्रिप) पर यूरिन की 3 ड्रॉप्स डालकर 5 मिनट तक रखी जाती है। किट पर 2 लाइन बनी होती हैं।

टेस्ट लाइन और कंट्रोल लाइन। जब दोनों लाइन डार्क आ जाएं तो समझ लेना चाहिए कि महिला प्रेग्नेंट है। अगर 1 लाइन आए तो टेस्ट निगेटिव होता है। प्रेग्नेंसी किट से टेस्ट रिजल्ट ज्यादातर सही आते हैं।

आगे बढ़ने से पहले ग्राफिक्स से जानिए कैसे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट से रिजल्ट देखा जाता है:

अगर सिस्ट हो तो आ सकती है फॉल्स रीडिंग

डॉ. गोल्डी कंबोज के अनुसार प्रेग्नेंसी किट से गलत रिजल्ट 1% ही आते हैं। यह तब होता है जब किसी महिला को पीरियड्स समय से नहीं आते। इससे उनका ओवुलेशन देरी से होता है। इससे एग भी देर से फर्टाइल होता है। ऐसी महिलाओं को भले ही पीरियड न हो तब भी रिजल्ट निगेटिव ही आते हैं।

ऐसे में डॉक्टर उन्हें बाद में दोबारा टेस्ट करने की सलाह देते हैं।

प्रेग्नेंसी यूट्रस के बाहर हो तो आती है हल्की लाइन

मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली में गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. अनुराधा कपूर कहती हैं कि अगर किसी महिला को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो यानी यूट्रस के बाहर फैलोपियन ट्यूब में गर्भ ठहर जाए तो प्रेग्नेंसी टेस्ट कार्ड (PTC) में गहरी की बजाय हल्की लाइन आती है।

साथ ही महिला को ब्लड स्पॉटिंग और पेट में दर्द होता है। अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

प्रेग्नेंसी किट के बाद ब्लड टेस्ट जरूरी

प्रेग्नेंसी किट से केवल प्रेग्नेंसी का पता चलता है इसलिए टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद हॉस्पिटल में ब्लड टेस्ट भी करवाना चाहिए। इस टेस्ट में HCG का लेवल चेक किया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि इससे पता चल जाता है कि प्रेग्नेंसी हेल्दी है या नहीं।

खुद से टेस्ट करने के बाद गायनोकोलॉजिस्ट से चेकअप करवाएं

डॉ. अनुराधा कपूर के अनुसार जब महिला का टेस्ट किट से रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो सीरम बीटा एचसीटी टेस्ट (ब्लड टेस्ट) में भ्रूण का विकास देखा जाता है। सामान्य प्रेग्नेंसी में यह 48 घंटे में 60% तक बढ़ता है।

अगर इससे कम बढ़ रहा है तो अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि प्रेग्नेंसी कहां है। कई बार प्रेग्नेंसी यूट्रस के बाहर होती है जो खतरनाक साबित हो सकती है।

कई बार अनमैरिड लड़कियां खुद टेस्ट करती हैं और रिजल्ट पॉजिटिव आने के बाद अपने आप ही अबॉर्शन पिल्स खा लेती हैं। अगर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो तो उन्हें हद से ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है। यह उनके लिए जानलेवा भी हो सकती है।

इसलिए सेल्फ टेस्ट करने के बाद और प्रेग्नेंसी कंफर्म होने के बाद गायनोकोलॉजिस्ट की सलाह से ही कोई कदम उठाना चाहिए।

क्या आप जानते हैं कि प्रेग्नेंसी टेस्ट किट किसने बनाई? ग्राफिक्स पढ़िए:

पॉजिटिव रिजल्ट भी आ सकता है गलत

प्रेग्नेंसी टेस्ट कार्ड (PTC) से कई बार रिजल्ट पॉजिटिव आता है जबकि महिला प्रेग्नेंट नहीं होती। इस रिजल्ट को ‘फॉल्स पॉजिटिव’ कहा जाता है।

नोएडा के भंगेल में कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर में गायनाकोलॉजिस्ट डॉक्टर मीरा पाठक ने बताया कि कई मामलों में फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट देखने को मिलते हैं।

अबॉर्शन होने के 4 हफ्ते तक: प्रेग्नेंसी में जो हार्मोन बनता है जिसे HCG कहते हैं उसे अबॉर्शन या एमटीपी होने के बावजूद शरीर से बाहर निकलने में 2-4 हफ्ते या कभी-कभी 2 महीने तक लग जाते हैं। इसलिए कई बार भ्रूण के नष्ट हो जाने पर भी प्रेग्नेंसी किट की स्ट्रिप में पॉजिटिव रिजल्ट नजर आता है।

कैंसर: जिन महिलाओं को ओवरी ट्यूमर, ओवेरियन सिस्ट या ब्रेस्ट कैंसर हो तो अक्सर प्रेग्नेंसी किट से टेस्ट करने पर रिजल्ट पॉजिटिव दिखता है। ब्रेन ट्यूमर की मरीज के साथ भी ऐसा देखा गया है।

इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट: अगर किसी महिला को मां बनने में दिक्कत हो और उनका आईवीएफ ट्रीटमेंट चल रहा हो तो उस दौरान HCG हार्मोन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। इसके 10 दिन बाद टेस्ट किया जाए तब भी फॉल्स पॉजिटिव रीडिंग आती है।

दवाओं का असर: अगर महिला पेन किलर या खून को पतला करने की दवा लगातार ले रही है, तब भी ऐसा हो सकता है। लंबे समय से एस्पिरिन या मेथाडोन जैसी दवा खाने के बाद भी प्रेग्नेंसी की पॉजिटिव रीडिंग आ सकती है।

महिलाओं को पता होना चाहिए, कब टेस्ट करें

डॉ. अनुराधा कपूर ने वुमन भास्कर को बताया कि सही रिजल्ट के लिए हर महिला को प्रेग्नेंसी किट का कैसे सही इस्तेमाल करना है, यह पता होना चाहिए। कई महिलाएं गलत तरीके से टेस्ट करती हैं।

संबंध बनाने के तुरंत बाद टेस्ट करना: कुछ महिलाएं संबंध बनाने के तुरंत बाद प्रेग्नेंसी किट से टेस्ट करती हैं जिसमें रिजल्ट निगेटिव ही आएगा। दरअसल ओवुलेशन के बाद ही एग फर्टाइल होता है। इसके 10 दिन बाद शरीर में HCG हार्मोन बनता है। इसलिए सही रिजल्ट के लिए पीरियड मिस करने के 1-2 दिन के बाद ही टेस्ट करना चाहिए।

सुबह का यूरिन सैंपल न लेना: प्रेग्नेंसी किट से टेस्ट करना है तो हमेशा सुबह का ही यूरिन सैंपल इस्तेमाल करना चाहिए। दरअसल रात भर गॉल ब्लैडर में यूरिन जमा होता रहता है। इससे इसमें HCG हार्मोन की मात्रा भी ज्यादा होती है। इस यूरिन के सैंपल से टेस्ट के रिजल्ट सही आते हैं।

अगर सुबह का यूरिन पास कर लिया है तब इस स्थिति में 4 घंटे तक यूरिन रोकने के बाद टेस्ट करने की सलाह दी जाती है।

एक्सपायरी चेक: प्रेग्नेंसी किट खरीदते समय सबसे पहले किट की एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें। एक्सपायरी डेट के बाद रिजल्ट ठीक नहीं आता। प्रेग्नेंसी टेस्ट करते समय कंट्रोल लाइन को जरूर चेक करें। अगर लाइन नहीं आई तो किट को डिस्कार्ड कर देना चाहिए।

हार्मोन्स के लेवल से पता चल सकता है कि कितने दिन की प्रेग्नेंसी है। ग्राफिक्स देखिए:

प्रेग्नेंसी टेस्ट किट क्यों जरूरी है

यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (UNFPA) की रिपोर्ट के अनुसार हर साल दुनिया में 12.1 करोड़ महिलाओं की प्रेग्नेंसी बिना प्लान के होती है। भारत में ऐसा हर 7 में से 1 महिला के साथ होता है।

UNFPA की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में हर साल 12 करोड़ से ज्यादा महिलाएं अनचाहे गर्भ की शिकार होती हैं। 61% अनचाहे गर्भ का अंत अबॉर्शन के साथ होता है। विकासशील देशों में 13% लड़कियां 18 साल की उम्र से पहले मां बन जाती हैं। इसमें एक तिहाई लड़कियां 14 साल की उम्र में पहली बार मां बनती है।

भारत में टीनेज प्रेग्नेंसी की बात करें तो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5), 2019-21 के अनुसार 15-19 साल की उम्र की 1000 लड़कियों पर 43 डिलिवरी हुईं। इस सर्वे के मुताबिक त्रिपुरा में 21.9% और असम में 11.7% किशोरियां प्रेग्नेंट हुईं।

अगर प्रेग्नेंसी किट से पहले ही प्रेग्नेंसी की जांच कर ली जाए तो ना तो मां बनने की और ना ही हॉस्पिटल जाकर अबॉर्शन कराने की नौबत आएगी।

इस विषय पर कई गायनोकॉलोजिस्ट मानती हैं कि प्रेग्नेंसी टेस्ट किट मैरिड महिलाओं के अलावा अनमैरिड लड़कियों के बीच भी पॉपुलर है क्योंकि अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की परेशानी वो ज्यादा झेलती हैं।

अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स

दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में गायनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर रूमा सात्विक के अनुसार इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स उस महिला के लिए है जो अनप्रोटेक्टेड सेक्स से गुजरती है। इस गोली में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की हाई डोज होती है। ओवुलेशन 8 से 10 दिन में हो तो यह गोली सर्वाइकल म्यूकस को मोटा कर देती है जिससे प्रेग्नेंसी ना ठहरे।

इसके अलावा यह गोली यूट्रस में एग और स्पर्म को मिलने से रोकती है। इसे संबंध बनाने के 72 घंटे के अंदर खा लेना चाहिए। लेकिन इस गोली को आदत न बनाएं। यह गोली अपने नाम से ही पहचानी जाती है। इसे डॉक्टर की सलाह पर इमरजेंसी की परिस्थिति में ही लेना चाहिए।

डॉक्टर रूमा सात्विक ने कहा कि गर्भ निरोधक गोलियां देने से पहले मरीज की उम्र, वजन, मेडिकल बैकग्राउंड, सेक्शुअल बिहेवियर, फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री जैसी चीजों की जांच की जाती है।

अगर किसी महिला को ब्लड क्लॉटिंग, हार्ट प्रॉब्लम, ब्रेस्ट कैंसर, मेंस्ट्रुअल माइग्रेन, अनियंत्रित डायबिटीज, ब्लड प्रेशर हो या कभी प्रेग्नेंसी के दौरान पीलिया या लिवर की बीमारी हो चुकी हो तो उन्हें गर्भनिरोधक गोलियां खाने की सलाह नहीं दी जाती।

भारत में प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की खूब डिमांड है। ग्राफिक्स पढ़िए:

2008 में पहली बार बांटी गई प्रेग्नेंसी टेस्ट किट

भारत में पहली बार सेल्फ टेस्ट प्रेग्नेंसी किट 2008 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्चास्थ्य मिशन के तहत सभी राज्यों में मुफ्त बांटी गई। इसे बांटने का मकसद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को फैमिली प्लानिंग के बारे में जागरूक करना था। आज भी सरकारी अस्पतालों में प्रेग्नेंसी किट से मुफ्त टेस्ट की सुविधा है।

प्रेगा न्यूज का दावा- हर महीने 1 करोड़ प्रेग्नेंसी किट बिकती है

2010 में मैनकाइन्ड फार्मा कंपनी की प्रेगा न्यूज नाम की प्रेग्नेंसी किट ने भारतीय बाजार में कदम रखा। उन्होंने इसी साल विज्ञापन शुरू किए जिसमें बालिका वधु की एक्ट्रेस नेहा मरदाना को ब्रैंड एंबेसेडर बनाया गया।

इसके बाद इसका ऐड शिल्पा शेट्टी, करीना कपूर और अनुष्का शर्मा जैसी सेलेब्रिटीज तक ने किया। कंपनी ने अपने प्रमोशन के लिए #SheIsCompleteInHerself, #SundayIsMomDay जैसे कैंपेन चलाए। 2021 में फोर्ब्स को दिए इंटरव्यू में प्रेगा न्यूज ने बताया कि भारत में उनकी कंपनी हर महीने 1 करोड़ प्रेग्नेंसी किट बेच लेती है।

ग्राफिक्स: सत्यम परिडा

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This post was last modified on November 21, 2024 9:01 pm