आज वर्ल्ड ब्लड डोनर डे है। सबसे पहले 14 जून को इसे मनाने के पीछे की वजह आपको बताते हैं- साल 1868 में आज ही के दिन कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म हुआ था। कार्ल एक मशहूर इम्यूनोलॉजिस्ट थे, जिन्होंने इंसानों में अलग-अलग ब्लड ग्रुप का पता लगाया था।
- 50+ Wild Animals Name in Hindi and English | जंगली जानवरों के नाम
- भारत में बीघा क्या होता है? जानें इस बारे में सबकुछ
- 1 गज में कितना फुट होता है?
- शरीर में दिखें ये लक्षण तो समझ लें होने वाली है मौत, आसानी से पहचाने जा सकते हैं संकेत
- Solah Somvar Vrat: श्रावण नहीं तो इस मास से रखें सोलह सोमवार का व्रत, जानिए तिथि, पूजा विधि से लेकर उद्यापन विधि तक
कार्ल की इस खोज के बाद ही एक इंसान से दूसरे इंसान में ब्लड ट्रांसफ्यूजन मुमकिन हो सका।
Bạn đang xem: जरूरत की खबर 350 मिलीग्राम खून से बच सकती हैं 3 जिंदगियां: क्या ब्लड डोनेशन से कमजोरी आती है; कौन नहीं कर सकता रक्तदान
कार्ल का यह प्रयास जिंदगियां बचा रहा है। इसके बावजूद ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों के मन में कई तरह की गलतफहमियां हैं। जैसे-खून देने से कमजोरी आती है, खून से शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है, बार-बार बीमार होते हैं।
लोग यह भी समझते हैं कि खून देने से सिर्फ खून चढ़ने वाले को ही फायदा होता है, ब्लड डोनेट करने वाले को सिर्फ नुकसान होता है।
इनसब बातों के पीछे का सच क्या है, यह बताएंगे डॉ. सैकत दत्ता। डॉ. दत्ता भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में हेमेटोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट हैं।
सवाल: ब्लड डोनेट करना क्या नॉर्मल है? जवाब: हां, यह एक नॉर्मल प्रोसेस है। एक सामान्य व्यक्ति एक बार में 1 यूनिट ब्लड डोनेट करके 3 लोगों की जान बचा सकता है।
कैंसर से लेकर इमरजेंसी सर्जरी और एक्सीडेंट की वजह से कई बार लोगों का काफी ब्लड लॉस हो जाता है। इस कंडीशन में उन्हें ब्लड की जरूरत होती है।
ऐसे लोगों को ब्लड डोनेट करके उनकी जरूरत को पूरा किया जा सकता है। उन्हें नई जिंदगी इससे मिल सकती है।
सवाल: ब्लड डोनेट करने से डोनर को क्या फायदा होता है? जवाब: यह डोनर के लिए काफी फायदेमंद है। जैसे-
और सबसे जरूरी कि ब्लड डोनेट करके आप किसी जरूरतमंद की जान बचा सकते हैं।
इसके अलावा भी कुछ सिचुएशन हैं, जब ब्लड डोनेट करने की सलाह नहीं दी जाती। जैसे-
सवाल: ब्लड डोनेट करने के लिए क्या वजन भी देखा जाता है? जवाब: जो लोग ब्लड डोनेट कर रहे हैं उनका वजन कम से कम 45 किलो होना चाहिए।
सवाल: क्या ब्लड डोनेट करने से कोई नुकसान होता है? जवाब: नहीं ब्लड डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता है। थोड़ी बहुत कमजोरी लगती है। अच्छी डाइट लेने से ये परेशानी भी जल्दी ठीक हो जाती है।
Xem thêm : Guru Ka Mahatva Essay in Hindi: गुरु के महत्व के बारे में निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में
बस रक्त देने के बाद ऐसा खाना खाएं जिसमें आयरन मौजूद हो। मटर, दाल, बीन्स, टोफू, हरी सब्जी जैसे पालक, किशमिश डाइट में शामिल करें।
सवाल: क्या एक A+, B- को ब्लड दे सकता है? कहने का मतलब क्या एक व्यक्ति दूसरे किसी भी ब्लड ग्रुप वाले को खून दे सकता है? जवाब: इस सवाल का जवाब नीचे ग्राफिक्स
ग्राफिक को पढ़ें और दूसरों को शेयर करें।
सवाल: अच्छा लोग यूनिवर्सल डोनर के बारे में बहुत बातें करते हैं ये क्या होता है? जवाब: असल में O ब्लड ग्रुप वालों को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है।
ऐसा ब्लड जो किसी भी अन्य ग्रुप में आसानी से मिक्स हो जाता है।
मतलब O ब्लड ग्रुप वालों का खून किसी भी ब्लड ग्रुप को आसानी से चढ़ाया जा सकता है।
इसमें एंटीजन A, B नहीं होते हैं। कोई भी पदार्थ जो इम्यून सिस्टम को इसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करता है, एंटीजन कहलाता है।
सवाल: ब्लड डोनेट के दौरान कितना ब्लड लिया जाता है? जवाब: ब्लड डोनर के शरीर से एक बार में 300 से 400 मिली. ब्लड लिया जा सकता है। ये शरीर में उपलब्ध ब्लड का करीब 15वां भाग होता है।
ब्लड डोनेट के तुरंत बाद आपका शरीर डोनेट किए गए खून की पूर्ति करने में लग जाता है। अगर व्यक्ति अपना खानपान बेहतर रखे तो 24 घंटे में वापस शरीर में उतना ही ब्लड बन जाता है।
सवाल: एक बार ब्लड डोनेट करने के फिर कितने दिन बाद ब्लड डोनेट करना चाहिए? जवाब: मेल-फीमेल यानी पुरुष-महिला दोनों के लिए ब्लड डोनेट करने का अलग-अलग टाइम है-
पुरुष- हर 3 महीने में रक्तदान कर सकता है।
महिलाएं- हर 4 महीने में अपना ब्लड डोनेट कर सकती हैं।
सवाल: 3-4 महीने के गैप में क्यों करना चाहिए ब्लड डोनेट? जवाब: इसका कारण है शरीर में मौजूद रेड ब्लड सेल्स यानी लाल रक्त कणिकाएं। जो 3 से 4 महीने के अंदर खुद ही खत्म हो जाती हैं। इसलिए इतने महीने के अंतराल में ब्लड डोनेट करने की सलाह दी जाती है।
Xem thêm : Solar System Questions
सवाल: बहुत लोग बोलते हैं कि 1 यूनिट ब्लड डोनेट कर दिया, मतलब 3 महीने की खिलाई-पिलाई निकल गई, क्या ये सच है? अगर नहीं तो फिर 1 यूनिट ब्लड कितने दिनों में बनता है? जवाब: एक यूनिट में 350 मिलीग्राम खून लिया जाता है, जिसकी कमी शरीर में 24 घंटे में पूरी हो जाती है। बस अच्छी क्वांटिटी में हेल्दी डाइट के साथ फ्रूट, जूस और दूध लेना चाहिए।
सवाल: ब्लड डोनेट करने के बाद किन बातों का ख्याल रखना चाहिए? जवाब: ब्लड डोनेट करने के बाद से ही खून बनने का प्रोसेस शुरू हो जाता है। ये बॉडी का नेचुरल प्रोसेस है। नीचे लिखी पॉइंट्स पर ध्यान दें…
सवाल: ब्लड डोनेट करने के लिए हमें कहां जाना होगा? जवाब: इसके लिए आप लाइसेंस प्राप्त सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक या किसी मान्यता प्राप्त संस्था के कैंप या ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
चलते-चलते
अब करते हैं कुछ नॉलेज की बात
दरअसल इंसानों में एक-दूसरे से ब्लड लेने या देने की कोशिशें सदियों पहले से की जा रही हैं। साल 1628 में फिजिशियन विलियम हार्वे ने एक बड़ी खोज की। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में ब्लड एक क्लोज सिस्टम में सर्कुलेट होता है यानी नसों का एक जाल है, जिसमें खून बहता रहता है।
नवंबर 1667 में इंग्लैंड के रिचर्ड लोवर ने एक भेड़ के बच्चे के ब्लड को इंसानों में ट्रांसफ्यूजन किया था। इससे पहले लोवर कुत्तों के साथ भी ये एक्सपेरिमेंट कर चुके थे।
इधर फ्रांस में जीनबैप्टिस्ट डेनिस भी इसी तरह के एक्सपेरिमेंट कर रहे थे। उन्होंने भेड़ के बच्चे का ब्लड इंसानों में ट्रांसफ्यूजन किया, लेकिन जिसे ब्लड दिया गया था, उस इंसान की मौत हो गई। इसके बाद जानवरों से इंसानों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर रोक लगा दी गई।
1875 में जर्मन फिजियोलॉजिस्ट लैनर्ड लैंडवॉ ने एक एक्सपेरिमेंट के जरिए बताया कि अलग-अलग प्रजाति के लोगों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन करने से ब्लड में मौजूद रेड ब्लड सेल्स थक्का बना लेती है। इसी के साथ लैनर्ड ने ये सिद्ध कर दिया था कि इंसानों से जानवरों या जानवरों से इंसानों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन कभी सफल नहीं हो सकेगा। यानी अब वैज्ञानिकों का पता था कि केवल इंसानों से इंसानों में ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जा सकता है।
कार्ल लैंडस्टीनर ने खून में मौजूद एंटीजन और एंटीबाडी की खोज की और बताया कि अगर अलग-अलग ग्रुप के ब्लड को मिलाया जाता है तो ये एंटीजन और एंटीबॉडी खून में थक्का जमा देती है। इस आधार पर उन्होंने A, B, 0 और AB चार तरह के ब्लड ग्रुप बनाए। कार्ल का कहना था कि खून में मौजूद एंटीजन को पहचान कर ही हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम रिएक्ट करता है।
अब जरूरत की कुछ और खबरें पढ़िए…
1.रिजेक्ट होने के डर से बढ़ती है हार्टबीट:होती है कंपकंपाहट, सोशल एंग्जाइटी की 3 सिचुएशन;बचने के उपाय
2.अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू, चिप्स-समोसा पर रोक:क्या है श्राइन बोर्ड के फूड मेन्यू में; कौन सी चीजें साथ ले जा सकते हैं
Nguồn: https://craftbg.eu
Danh mục: शिक्षा