10 Heads Of Ravana: रावण को दशानन, दशग्रीव सहित अन्य कई नामों से जाना जाता है, दशहरे पर रावण दहन की परंपरा है, कल दशहरे पर देश के अलग अलग हिस्सों में रावण दहन होगा, लोग बुराई पर अच्छाई के प्रतीक रावण के पुतले को जलाकर एक दूसरे को शुभकामनायें देंगे फिर रोशनी के पर्व दीवाली की तैयारियों में जुट जायेंगे, लेकिन रावण कितना विद्वान था उसके 10 सिर का क्या रहस्य है, हम इस आलेख में आपको बताएँगे …
रावण लंका का राजा था, उसे लंकेश, लंकापति, दशग्रीव सहित कई नामों से जाना जाता है, वो बड़ा प्रतापी, वो महा पराक्रमी, महा ज्ञानी, वेद शास्त्रों का जानकार, महा पंडित और बहुत बड़ा शिवभक्त थे, शिव तांडव स्त्रोत की रचना रावण ने ही की थी लेकिन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण और तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में रावण का जैसा वर्णन किया है उसके हिसाब से उसकी छवि एक राक्षस वाली व्यक्ति की आँखों के सामने आ जाती है, वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस में रावण को 10 सिर वाला और 20 भुजाओं वाला विशालकाय वर्णित किया है।
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रावण के 10 सिर में छिपा है रहस्य
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यहाँ हम आपको बताते हैं कि रावण के 10 सिर का क्या रहस्य है, बहुत से लोगों का ये मानना है कि किसी के 10 सिर होना सिर्फ एक कल्पना ही है और रावण के बारे में भी ये कल्पना ही है, आज की युवा पीढ़ी और जिज्ञासु प्रवृत्ति के लोग अक्सर ये सवाल करते हैं कि क्या रावण के सच में 10 सिर से? इसके बारे में अलग अलग धारणाएं , कथाएं और किवदंतियां है कुछ लोगों का मानना है कि रावण के 10 सिर वाली कहानी झूठी है, उसके दस सिर नहीं थे वह तो अपने 10 सिर होने का सिर्फ भ्रम पैदा करता था, कुछ लोग कहते हैं कि रावण विद्वान था वह 6 शास्त्र और 4 वेदों का ज्ञाता भी था इसलिए उसके 10 सिर थे इसीलिए वो दशानन , दसकंठी भी कहलाया।
बुराई के प्रतीक माने जाते हैं रावण के 10 सिर
इधर हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार रावण के दस सिरों को बुराई का प्रतीक माना गया है, इन दस सिरों के अलग-अलग अर्थ भी हैं, दस बुराइयों को काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, घृणा, पक्षपात, अहंकार, व्यभिचार और धोखा नाम दिया गया चूँकि ये सब रावण में था इसीलिए ये सब रावण के 10 सिर के अर्थ हैं, कुछ धर्म शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि रावण 9 मणियों की माला धारण करता था, इन्हीं मालाओं को वह सिर के रूप में दिखाता था और 10 सिर होने का और भ्रम पैदा करता था, चूँकि रावण मायावी था तो उसे ऐसा करना बहुत आसान था।
बुराइयों के प्रतीक रावण के 10 सिर
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दशहरे के पर्व पर रावण का पुतला दहन की परंपरा है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है. रावण के 10 सिर 10 बुराइयों का प्रतीक हैं जिसे हर व्यक्ति को दूर रहना चाहिए. रावण प्रतीक है अहंकार का, अनैतिकता का, सत्ता और शक्ति के दुरुपयोग का. यही नहीं रावण प्रतीक है- ईश्वर से विमुख होने का. धार्मिक मान्यता के अनुसार रावण के दस सिर दस अलग अलग बुराइयों के प्रतीक हैं।
रावण ने दी थी सिर की बलि
पौराणिक कथाओं में एक उल्लेख ये भी है कि रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था, भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने उसने कई सालों तक कठोर तपत्या की, लेकिन जब भगवान शिव प्रकट नहीं हुए तो अपने सिर की बलि दे देता था, लेकिन उसका नया सिर वहां ऊग आता था, जब उसका अंतिम सिर बचा तो उसके कटने से पहले ही शिव प्रसन्न हुए, रावण ने अमरता का वरदान माँगा लेकिन शिव ने उन्हें वरदान ना देते हुए अमृत दिया जिसे रावण ने अपनी नाभि में छिपा लिया था और युद्ध के समय विभीषण के बताने पर राम ने रावण की नाभि में तीर मारकर उसका वध कर दिया था, बहुत से लोग इसे ब्रह्मा से जोड़कर भी देखते हैं।
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