समास (Samas) शब्द का अर्थ होता है -“संक्षेप “। दो या दो से अधिक शब्दों के मेल/संयोग को समास कहते हैं।
- स्मार्टफोन यूजर्स सीख सकते हैं देश की 22 अलग-अलग भाषा, सरकार देगी टेस्ट पास करने पर सर्टिफिकेट Bhasha Sangam Mobile App: अगर आप भी अलग-अलग राज्यों की भाषा सीखना चाहते हैं तो सरकारी की तरफ से जारी किए गए इस ऐप से सीख सकते हैं. इसमें 22 भाषा शामिल हैं. एप में देखें
- National Brother’s Day 2024: Date, origin, significance, wishes and more
- ICC की वर्ल्डकप टीम ऑफ द टूर्नामेंट में 6 भारतीय: रोहित शर्मा कप्तान; 12 प्लेयर्स में ऑस्ट्रेलिया के 2, पाक का एक भी नहीं
- 120+ Birthday Wishes For Wife In Marathi | बायकोला वाढदिवसाच्या शुभेच्छा मराठी संदेश
- Fruits Name in Hindi & English | 20 फलों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में
समास में संक्षेप में कम से कम शब्दों द्वारा बड़ी से बड़ी और पूर्ण बात कही जाती है।
Bạn đang xem: समास (SAMAS): भेद एवं 500+ उदाहरण
जैसे:- ग्राम को गया हुआ में चार शब्दों के प्रयोग के स्थान पर “ग्रामगत” एक समस्त शब्द प्रयोग में लिया जा सकता है।
इस प्रकार दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से विभक्ति चरणों के लोगों के कारण जो नवीन शब्द बनते हैं, उन्हें सामाजिक किया समस्त पद कहते।
सामाजिक शब्दों का संबंध व्यक्त करने वाले, विभक्ति चिह्नों आदि के साथ प्रकट करने अथवा लिखने की गति को विग्रह कहते हैं।
जैसे:- “धनसंपन्न” समस्त पद का विग्रह ‘धन से संपन्न’, “रसोईघर” समस्त पद का विग्रह ‘रसोई के लिए घर’
समस्त पद में मुख्यतः दो पद होते हैं – पूर्वपद व उत्तरपद।
पहले वाले पद को “पूर्वपद” व दूसरे पद को “उत्तरपद” कहते हैं।
समास के भेद या प्रकार (Samas Ke Bhed)
मुख्यतः समास के चार भेद होते हैं।
जिस समास में पहला शब्द प्रायः प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं; जिस समास में दूसरा शब्द प्रधान रहता है, उसे तत्पुरुष कहते हैं। जिसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं, वह द्वन्द्व कहलाता हैं और जिसमें कोई भी प्रधान नहीं होता उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं।
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद समास
- बहुब्रीहि समास
अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
Xem thêm : एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस)
इसमें पहला पद प्रधान होता है एवं परिवर्तनशीलता का भाव होता है। और अव्यय पद का रूप लिंग, वचन, कारक में नहीं बदलता वह सदैव एकसा रहता है।
अपवाद: हिन्दी के कई ऐसे समस्त पद जिनमें कोई शब्द अव्यय नहीं होता परंतु समस्त पद अव्यय कि तरह प्रयुक्त होता है, वहाँ भी अव्ययीभाव समास माना जाता है।
तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
इसमें पहला पद गौण तथा दूसरा पद प्रधान होता है। इसमे कारक के विभक्ति चिन्हों का लोप हो जाता है (कर्ता व सम्बोधन कारक को छोड़कर) इसलिए 6 कारकों के आधार पर इसके नहीं 6 भेद होतें हैं।
कर्म तत्पुरुष समास
‘को’ विभक्ति चिन्हों का लोप
करण तत्पुरुष समास
‘से’ विभक्ति चिन्हों का लोप
संप्रदान तत्पुरुष समास
‘के लिए ‘ विभक्ति चिन्ह का लोप
अपादान तत्पुरुष समास
‘से’ पृथक या अलग के लिए चिन्ह का लोप
संबंध तत्पुरुष समास
‘का’,’के’, ‘कि’ विभक्ति चिन्हों का लोप
अधिकरण तत्पुरुष समास
‘में’, ‘पर’ विभक्ति चिन्हों का लोप
कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
इसमें पहले और दूसरे पद में विशेषण, विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध होता हैं, जैसे-
द्विगु समास (Dvigu Samas)
Xem thêm : 1 Million To Lakhs Conversion – Million In Lakhs Calculator
इस समास का पहला पद संख्यावाचक तथा दूसरा पद प्रधान होता है।
अपवाद: कुछ समस्त पदों में शब्द के अंत में संख्यावाचक शब्दान्श आता है, जैसे-
द्वंद समास (Dvand Samas)
इस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान होतें हैं तथा योजक चिन्ह द्वारा जुड़ें होतें हैं। समास विग्रह करने पर और, या, अथवा, एवं आदि शब्द लगते हैं।
बहुब्रीहि समास (Bahubrihi Samas)
जिस समास में पूर्वपद व उत्तरपद दोनों ही गौण हों और अन्यपद प्रधान हो और उसके शाब्दिक अर्थ को छोड़कर एक नया अर्थ निकाला जाता है, वह बहुब्रीहि समास कहलाता है।
कर्मधारय और बहुब्रीहि समास में अंतर
कर्मधारय समास में दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य तथा उपमान-उपमेय का संबंध होता है लेकिन बहुब्रीहि समास में दोनों पदों का अर्थ प्रधान न होकर ‘अन्यार्थ’ प्रधान होता है।
जैसे- मृगनयन-मृग के समान नयन (कर्मधारय) तथा नीलकंठ- नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव -अन्यार्थ लिया गया है (बहुब्रीहि समास)
बहुब्रीहि एवं द्विगु समास में अंतर
द्विगु समास में पहला शब्द संख्यावाचक होता है और समस्त पद समूह का बोध कराता है लेकिन बहुब्रीहि समास में पहला पद संख्यावाचक होने पर भी समस्त पद से समूह का बोध ना हॉकत अन्य अर्थ को बोध होता है।
जैस- चौराहा अर्थात् चार राहों का समूह (द्विगु समास)
चतुर्भुज-चार भुजायें हैं जिसके अर्थात् विष्णु -अन्यार्थ (बहुब्रीहि समास)
संधि और समास में अंतर
संधि दो वर्णों या ध्वनियों का मेल होता है। पहले शब्द कि अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द कि आरंभिक ध्वनि में परिवर्तन आ जाता है, जैसे – ‘लंबोदर’ में ‘लंबा’ शब्द की अंतिम ध्वनि ‘आ’ और ‘उदर’ शब्द की आरंभिक ध्वनि ‘उ’ के मेल से ‘ओ’ में परिवर्तन हो जाता है। इस प्रकार दो या दो से अधिक शब्दों की कमी न होकर ध्वनियों का मेल होता है।
किन्तु समास में ‘लंबोदर’ का अर्थ लंबा है उदर (पेट) जिसका शब्द समूह बनाता है। अतः समास में मूल शब्दों का योग होता है जिसका उद्देश्य पद में संक्षिप्तता लाना है।
Nguồn: https://craftbg.eu
Danh mục: शिक्षा